बिहार में भी स्थानीय नीति अर्थात डोमिसाइल पर मुद्दा गरम- Bihar Me Sthaniya Niti Ya Domicile
PATNA - बिहार में बेरोजगारी को दूर करने के लिए पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बिहार में डोमिसाइल अर्थात स्थानीय नीति लागू करने की मांग किया है सरकार से। आपको बता दे कि बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के साथ पूर्व उप मुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार से ये भी कहा अगर बिहार में डोमिसाइल नीति अर्थात स्थानीय नीति लागू करने की मांग यदि सरकार नहीं मानेगी तो वे राज्य के लाखों अभ्यर्थियों के साथ एक बड़ा आंदोलन करने के लिए मजबुर हो जाएंगे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि तेजस्वी यादव का यह बयान कहा जा सकता है कि चुनाव की राजनीति को देखते हुए लिया गया है।
अभी जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये कि क्या बिहार में डोमिसाइल अर्थात स्थानीय नीति लागू हो सकता है।
बिहार में भी स्थानीय नीति अर्थात डोमिसाइल पर मुद्दा गरम- Bihar Me Sthaniya Niti Ya Domicile
आपको बता दें कि बिहार में लगभग 95473 शिक्षकों की बहाली होने जा रही है और बिहार शिक्षक बहाली में दूसरे राज्यों से लगभग 50% से भी ज्यादा अभ्यर्थियों के आवेदन आए हुए हैं। ऐसे में बिहार राज्य के स्थानीय युवाओं का जॉइनिंग हो पाएगा या फिर नहीं हो पाएगा यह अभी कहना आसान नहीं होगा।। मुख्यमंत्रीं शिक्षा विभाग में भी कई बार आवेदन पत्र दिया गया पर सरकार इस गंभीर मामला पर चुप्पी साधे हुए हैं।
हालांकि बिहार में स्थानीय नीति लागू करने को लेकर बिहार सरकार थोड़ा भी गंभीर नहीं है जिससे बिहार के स्थानीय युवाओं का भविष्य अंकारमय है। शिक्षा मंत्री कृष्णा नंदन वर्मा ने कहा था कि यह एक गंभीर मामला
है हम राज्य सरकार के समक्ष इसे रखेंगे और जल्द ही स्थानीय नीति पर फैसला लेंगे। इस बयान के बाद
शिक्षा मंत्री ने भी दुबारा से डोमिसाइल नीति अर्थात स्थानीय नीति पर शिक्षा मंत्री भी अब चुप्पी साधे हुए हैं।
बिहार शिक्षक नियोजन के अलावा यह बिहार के किसी अन्य परीक्षाओं में लागू होगा इस पर अभी फिलहाल कोई भी अपना बयान नहीं दिया है। बिहार में बेरोजगारी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी
यादव ने बिहार सरकार से लागू कराने की मांग की है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के युवाओं के
हित में सरकार को फैसला लेना चाहिए। बिहार में यदि स्थानीय नीति लागू होगा तो यहां के बच्चे किसी
अन्य क्षेत्र में नहीं जा पाएगा अन्य राज्यों में नौकरी के लिए उन्हें नहीं भटकना पड़ेगा जब बिहार में ही
उनके लिए रास्ता खुला होगा नौकरी का तो।
सोचने वाली बात है वर्ष 2012 में बिहार में शिक्षकों का नियोजन हुआ था उसमे माना जा रहा है कि
65000 राज्य के स्थानीय युवाओं का हुआ था और 30,000 दूसरे प्रदेशों का अभ्यर्थियों का नियोजन
हुआ था। अब वर्ष 2019 में भी शिक्षकों का नियोजन हो रहा है जिसमें दूसरे राज्यों से लगभग 50 फ़ीसदी
आवेदन आए हैं। इससे स्थानीय युवाओं को यह डर है कि इस बार की भी नियोजन में दूसरा राज्यों के
अभ्यर्थियों ही ना बाजी मार ले। अगर यही हाल 2012 का 2019 में रहा तो बिहार शिक्षक नियोजन में
लगभग 40 से 45000 अभ्यर्थी इसबार भी नियोजन से बंचित रह जायेगा।
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