प्रारंभिक स्कूलों में एक लाख शिक्षकों की कमी।

प्रारंभिक स्कूलों में एक लाख शिक्षकों की कमी। 

पटना : बिहार सरकार ने प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1 से 8) के साथ साथ अब उच्च प्राथमिक विद्यालय (6 से 8) में भी शिक्षक बहाली शुरू करने की एक नई दिशा में बड़ा कदम उठाया है। लेकिन खाली पड़े रिक्त पदों में अधिकांश पद वर्ग 1 से लेकर के पांचवी तक के शिक्षकों के लिये हैं। इसमें शिक्षक बनने के लिये शिक्षक पात्रता परीक्षा का पेपर 1 उत्तीर्ण होना अनिवार्य होता है। बिहार में टेट के अनुसार पेपर 1 में इनकी संख्या लगभग 9 हजार है,ऐसे में फिर हजारों पद रिक्त रह सकते हैं। विज्ञापन से पूर्व सरकार को एनसीटीई के 28 जून 2018 के नए नियम के अनुसार वर्ग 1 से 5 में बीएड प्रशिक्षित उम्मीदवार को भी शिक्षक बनने का अवसर दिया गया है। अब इस नियम के बाद केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा भी हुई,इसमें बिहार के लगभग 5 से 6 हजार अभ्यर्थियों ने सफलता भी प्राप्त की थी और ये एनसीटीई जो नया गाइड लाइन जारी किया है उसके अनुसार अब ये शिक्षक बनने के लिए वर्ग 1 से 5 में योग्यता रखते है।

शिक्षा विभाग को भी अब अपने विज्ञापन में इसे स्वत संज्ञान में दे देना चाहिए ताकि प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1 से 5) में उसे अधिक से अधिक शिक्षक मिल सके।

प्रारंभिक स्कूलों में एक लाख शिक्षकों की कमी।

राज्य में अभी प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक 4 लाख 40 हजार शिक्षक है,जिसमे प्राथमिक स्कूलों में 3 लाख 19 हजार नियोजित शिक्षक और 70 हजार वेतनमान पर नियमित शिक्षक कार्यरत है। वही उच्चतर - उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में 37 हजार नियोजित शिक्षक है जबकि 7 हजार पूर्ण वेतनमान वाले शिक्षक है।  राज्य  में 71 हजार प्रारंभिक स्कूल है जबकि छह हजार माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूल है। वर्तमान में प्रारंभिक स्कूलों में 1 लाख शिक्षकों की कमी है माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में 38 हजार शिक्षकों की कमी है यानी राज्य में कुल 1 लाख 38 हजार शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। अगले साल सभी पंचायतों में कम से कम 1 हाई स्कूल की पढ़ाई शुरू करने का लक्ष्य भी रखा गया है।

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